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बारिश की बूँदे

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बारिश की बूँदे कुछ कहती हैं मधुर संगीत जीवन में घोलती हैं बावरे मन के साथ अठखेलियाँ करती हैं हो सके तो तू भी इन बूँदो की सुन  जीवन की डगर पर सच्चाई की राह चुन, शंङ्खनाद करती हुई आती हैं बूँदे जैसे धरा पर  गरजता हुआ तू भी बरस जा अपनी राह की मुश्किलों पर |  बारिश की बूँदे कुछ कहती हैं  जब कभी मध्दम स्वर बूँदो का, छू जाए मन को  बच्चा बन तू भी बारिश के पानी में, छप- छप कर लेना ज़रा  हो सके तो भूली बिसरी यादें जी लेना ज़रा और बारिशों के पानी में, अपनी कागज़ की कश्ती छोड़ देना ज़रा | बारिश की बूँदे कुछ कहती हैं  बारिश को देखकर माँ का पीछे से आवाज़ देना और कहना, "बेटा बारिश में मत भीगना सर्दी लग जाएगी " आज भी याद आता है और मधुर मुस्कान साथ लाता है |  बारिश की बूँदे कुछ कहती हैं बारिश होने पर मिट्टी की सौंधी- सौंधी सी खुशबू, तरो ताज़ा कर देती है मन को और करा देती है खुद से रूबरू |  बारिश की आस में खेतों में खड़े होकर आसमान निहारते नयन, बुनते हैं न जाने कितने सपने खुद को भूलकर होकर मगन |  बारिश की बूँदे कुछ कहती हैं हो सके तो तू भी इन बूँदों की सुन |  कौन अपना कौन पराया छोड़कर जग हँसाई का भय स

वह मुस्कुराता चेहरा

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इस मुस्कुराते हुए चेहरे की कोई अपनी कहानी है, जो इस दुनिया ने अब तक नहीं जानी है |  ग़म छुपा रखे हैं इस चेहरे ने बहुतेरे, जिनको कोई न जान पाया साँझ- सवेरे |  अपने दर्द दिखाकर भी यह चेहरा क्या करेगा, क्या इसे अपने दर्द बाँटने वाला कोई मिलेगा ? न जाने कितनी परेशानियों को अपने में समेटे, रात भर करवटें बदलता होगा यह चेहरा लेटे- लेटे |  खिलखिलाती हुई हँसी तो बस एक मुखौटा है, जिसके पीछे यह चेहरा आँसुओ के घूँट पीता रहता है |  मेरी उस चेहरे से बहुत जान- पहचान तो नहीं थी पर फिर भी आज बहुत हिचकिचाते हुए, मैंने उस चेहरे की ओर अपना हाँथ बढ़ाया तो उसे ऐसा लगा, मानो उसका कोई हमदम है आया | और गले लगाकर उसने मुझे, अपना हाल-ए- दिल सुनाया |  जाने कब से इतना दर्द अपने सीने में लिए, जिए जा रहा था वह चेहरा एक बनावटी मुस्कान लिए |  पर शायद मुझसे अपने दिल की बात कहकर, कुछ दर्द हल्का हो गया होगा उसका, आँसुओं के साथ बहकर |  मेरे दिल को भी बड़ी खुशी मिली यह सोचकर कि, आज मेरी पहल ने उस चेहरे की हँसी को, एक मुखौटा नहीं बनने दिया |  आप भी कभी ऐसी पहल कर के तो देखिये, किसी की तरफ अपना हाँथ बढ़ाकर तो देखिये, ज़िन्दगी ख़ुद

ज़िन्दगी ने कहा

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सुबह उठकर मैं रोज़ के अपने, काम शुरू करने जा ही रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, आराम से बैठकर चाय की एक चुस्की तो ले ज़रा |  काम करते- करते बीच में मैं, आने वाले कल के बारे में सोचती जा रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, पहले आज को तो जी भर के जी ले ज़रा |  परेशानियों से ऊबकर, अपने आप से ही भागने जा रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, डटकर परेशानियों का सामना करके देख तो ज़रा | अपनी इच्छाओं को मारकर, दूसरों के लिए जा रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, थोड़ा अपने लिए सज- सँवर कर देख तो ज़रा |  दूसरों को आगे बढ़ता देख, मैं खुद को पीछे छूटता पा रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, तू भी पंख फैलाकर उड़ान भर के देख तो ज़रा |  भरी महफ़िल में शामिल होकर भी, खुद को तन्हा ही पा रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, किसी की तरफ हाथ बढ़ाकर देख तो ज़रा |  सुना था कि दुनिया बहुत हसीन है पर मैं तो इसको बेरंग ही देख रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, एक नज़र मुस्करा कर देख तो ज़रा | |    

यादों का पिटारा

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 फिर से सुहानी शाम आई है संग अपने यादों का पिटारा लाई है | माँ के घर के आँगन में एक पिटारा रखा है उस पिटारे में हैं कुछ खट्टी, कुछ मीठी, कुछ हँसी ठिठोली करती बातें तो कुछ रुला देने वाली रातें | चाय की चुस्कियों के साथ मैं उस पिटारे को टटोलती गई और उसमें से निकलती, अनमोल यादों के मोतियों को धागे में पिरोती चली गई |  उस पिटारे में हाँथ डाला तो सबसे पहले निकली एक मिट्टी की चिड़िया, जो है याद दिलाती कि बचपन में मैं भी पंछियों की तरह, अपने घर के आँगन में उड़ा करती थी |  दोबारा हाँथ डाला तो निकला एक गुड्डा और गुड़िया, दोनों थोड़े पुराने से हो गए थे पर अब भी बड़े प्यारे लगते थे | याद आया कि बचपन में हम इनकी शादी करवाते थे और गुड़िया की जगह गुड्डे की विदाई कराते थे मन में कहीं यह ख़याल आया कि काश ऐसा हकीकत में भी हो जाता |  माँ ने आवाज़ लगाई कि चाय ठण्डी हो रही है पर मैं तो अपने पिटारे में ही गुम थी फिर से हाथ डाला तो निकली कठपुतलियाँ,  जिनका हम बचपन में खेल दिखाते थे जो अब टूट चुकी हैं पर फिर भी खुशियाँ बहुतेरी बिखेरती हैं |  फिर एकाएक ख़याल आया कि हम सब भी तो कठपुतलियाँ ही हैं और ज़िन्दगी हमसे न जाने

A Cute Christmas Letter

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 Dear Santa, Did you get my tweet? tell honestly and do not cheat. Hahaha! just kidding, I know you are so sweet that you will give me  lots of presents as a treat. I have also posted on your FB account about my dreams and desires so please take them into count. Hey Santa! one thing more, don't you dare to ignore LOL I have mailed you the list of the stuff so please arrange them without making any bluff. But still I am sad as I can not come out to meet you. This Corona is so bad. When will it all get over? I really have no clue. For you, to recognise me will be a huge task as I will be wearing a mask. This Christmas, I don't need presents and sweets just make my small wish come true. Let this Corona crisis be over once and for all so that I can enjoy every season whether it is summer or fall. I want to breathe in fresh air without a mask, Hope for me, You will complete this task.   Pic Credit:  https://adsharkmarketing.com/wp-content/uploads/Artboard-1-8-2.png  

उसका आना

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 आज बहुत दिनों के बाद वह नीचे टहलने आई, उसे देखकर एक खुशी की लहर मेरे चेहरे पर दौड़ आई |  यूँ तो हम दोनों में कोई बात नहीं होती थी, पर फिर भी उसके आने का इंतज़ार रहता था | वह नीचे टहलती रहती थी अपने कानों में फ़ोन लगाए ज़रूर किसी अपने से ही बातें किया करती थी |  अपनी बातों में मगन, दुनिया से बेख़बर ऐसा लगता था मानों वह कुछ पल फुर्सत के अपने लिए उधार माँग कर लाई थी |  उसे देखकर न जाने क्यों अच्छा लगता था मानों उसके साथ कोई अनजाना रिश्ता सा था | कई बार सोचा कि उसे ऊपर से आवाज़ दूँ, फिर खुद को रोक लिया कि क्यों मैं उसके फुर्सत के लम्हों को कैद करूँ |  क्या पता लोगों से दूर, शायद तन्हाई में खुद को तलाशने आई है या किसी अपने से बात कर, अपना दर्द बाँटने आई है |  वजह कुछ भी हो उसके टहलने की पर उसका आना ही अच्छा लगता है शायद रात की तन्हाई में, मुझे भी उसमें कोई अपना लगता है | |  Pic credit: https://www.ncta.com/whats-new/keeping-human-connections-real-and-authentic-in-the-digital-age

चाँद मुस्करा रहा था

  कल रात झरोखे से देखा तो, चाँद मुस्करा  रहा था इतना मुस्करा कर, जाने कितने राज़ वह छिपा रहा था |  उसकी मुस्कराहट थी एक अजब पहेली, न मैं बूझ पाई और न मेरी सहेली | वह चाँद कुछ अपना सा लग रहा था मानों मुझसे ढेरों बातें कर रहा था  मेरी तरह वह भी, अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए, मानों कोई संगी- साथी ढूँढ़ रहा था | और मुझे हमराज़ बनाकर, अपने दिल के पन्ने खोल रहा था |  उसने मुझसे शिकायत की और बोला दूर से सब मेरी चमक देखते हैं पर पास आकर कोई, हाल-ए -दिल नहीं पूछता |  मेरी सुंदरता की तारीफ़ तो सभी करते हैं, पर इस भरी महफ़िल में, कोई मेरे सूनेपन को महसूस नहीं करता | उसकी बातें सुनकर तो ऐसा लगा मानों वह, मेरी ही कहानी अपनी ज़ुबानी सुना रहा था शायद इसीलिए वह कोई अपना सा लग रहा था |  मैंने चाँद से कहा - मायूस न हो ए दोस्त, यह तो है जीवन की हकीकत नहीं कोई कहानी चेहरे की हँसी तो सभी देखते हैं पर दिल की बेचैनी किसी ने न जानी |  दुनिया भागे बाहरी सुंदरता के पीछे पर मन का उजलापन किसी ने न पहचाना कहने को है रोज़ हज़ारों का आना- जाना | मेरी बात सुनकर चाँद ज़ोर से हँसा और बोला  अभी तक तो मैं खुद को ही अकेला समझ र