बहुत कुछ सीख लिया
बहुत कुछ सीख लिया
तूफानों से अक्सर टकराते टकराते,
आज मैंने साहिल पर चलना सीख लिया
और हज़ारों बार रोते- रोते,
आज मैंने ग़म में मुस्कुराना सीख लिया | |
खुले आसमान की चाह करते- करते,
आज मैंने बंद कमरे में जीना सीख लिया
और उम्मीदों पर खरा उतरते- उतरते,
आज मैंने उम्मीदों का दामन ही छोड़ दिया | |
चाँद को देखकर आह भरते- भरते,
आज मैंने अँधेरे को ही दोस्त बनाना सीख लिया
और गुलाब को देखते- देखते ,
आज मैंने काँटो पर चलना सीख लिया | |
हालातों से बेतहाशा लड़ते- लड़ते,
आज मैंने उनसे जीतना सीख लिया
और आसमानों से गिरते- गिरते,
आज मैंने पंख फैलाकर उड़ना सीख लिया | |
सपनों के टूटने पर सिसकते- सिसकते,
आज मैंने सपने देखना ही छोड़ दिया
और अपनी कहानी सुनाते- सुनाते,
आज मैंने अपने दर्द छुपाना भी सीख लिया | |
Bohot khoob
ReplyDeleteThanks dear..
DeleteVery nice and touchy lines:)
ReplyDeleteThanks so much..
DeleteKrati, very nice poem😲
ReplyDeleteThanks Parvathy..keep showering your love..
DeleteOh wow.... u have so many beautiful creations... a super happy person like u, writes pain in such depth.. talent ise hi kehte hai
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