बारिश की बूँदे
बारिश की बूँदे कुछ कहती हैं
मधुर संगीत जीवन में घोलती हैं
बावरे मन के साथ अठखेलियाँ करती हैं
हो सके तो तू भी इन बूँदो की सुन
जीवन की डगर पर सच्चाई की राह चुन,
शंङ्खनाद करती हुई आती हैं बूँदे जैसे धरा पर
गरजता हुआ तू भी बरस जा अपनी राह की मुश्किलों पर |
बारिश की बूँदे कुछ कहती हैं
जब कभी मध्दम स्वर बूँदो का,
छू जाए मन को
बच्चा बन तू भी बारिश के पानी में,
छप- छप कर लेना ज़रा
हो सके तो भूली बिसरी यादें जी लेना ज़रा
और बारिशों के पानी में,
अपनी कागज़ की कश्ती छोड़ देना ज़रा |
बारिश की बूँदे कुछ कहती हैं
बारिश को देखकर माँ का पीछे से आवाज़ देना और कहना,
"बेटा बारिश में मत भीगना सर्दी लग जाएगी "
आज भी याद आता है और
मधुर मुस्कान साथ लाता है |
बारिश की बूँदे कुछ कहती हैं
बारिश होने पर मिट्टी की सौंधी- सौंधी सी खुशबू,
तरो ताज़ा कर देती है मन को और
करा देती है खुद से रूबरू |
बारिश की आस में खेतों में
खड़े होकर आसमान निहारते नयन,
बुनते हैं न जाने कितने सपने
खुद को भूलकर होकर मगन |
बारिश की बूँदे कुछ कहती हैं
हो सके तो तू भी इन बूँदों की सुन |
कौन अपना कौन पराया
छोड़कर जग हँसाई का भय सारा,
बूँदो की ताल पर सबके साथ
तू भी अपनी ताल मिला ले ज़रा
सब कुछ भुलाकर थोड़ा सा झूम तो ले ज़रा
अरे ! खुद के लिए थोड़ा जी तो ले ज़रा |
बारिश की बूँदे कुछ कहती हैं
कभी तो तू सुन ले ज़रा | |
Source : https://www.panchayattimes.com/wp-content/uploads/2020/03/rain.jpg
sochti hun har alfaz pe teri tareef
ReplyDeletekaru fir khyal aaya kahin padne wali bhi teri diwani na ho jaye🤣.
bahut bahut dhanyawaad😁
DeleteSo beautiful! As always. Thanks for making me smile!
ReplyDeleteThanks for reading and appreciating ..
DeleteOptimistic and joyful poem..well written
ReplyDeleteThank you so much...
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