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Showing posts from October, 2020

बहुत कुछ सीख लिया

बहुत कुछ सीख लिया   तूफानों से अक्सर टकराते टकराते, आज मैंने साहिल पर चलना सीख लिया और हज़ारों बार रोते- रोते, आज मैंने ग़म में मुस्कुराना सीख लिया | |  खुले आसमान की चाह करते- करते, आज मैंने बंद कमरे में जीना सीख लिया और उम्मीदों पर खरा उतरते- उतरते, आज मैंने उम्मीदों का दामन ही छोड़ दिया | |  चाँद को देखकर आह भरते- भरते, आज मैंने अँधेरे को ही दोस्त बनाना सीख लिया और गुलाब को देखते- देखते , आज मैंने काँटो पर चलना सीख लिया | |  हालातों से बेतहाशा लड़ते- लड़ते, आज मैंने उनसे जीतना सीख लिया और आसमानों से गिरते- गिरते, आज मैंने पंख फैलाकर उड़ना सीख लिया | |  सपनों के टूटने पर सिसकते- सिसकते, आज मैंने सपने देखना ही छोड़ दिया और अपनी कहानी सुनाते- सुनाते, आज मैंने अपने दर्द छुपाना भी सीख लिया | | 
 अपनी यह पोस्ट भी मैंने कोरोना काल में ही मई के महीने में लिखी थी | यह पोस्ट भी एक तरह का birthday wish ही है जो किसी ख़ास और अपने के लिए है | कोरोना से त्रस्त हो चुके जीवन में मैंने अपनी इस पोस्ट से अपनी मित्र मण्डली को थोड़ा गुदगुदाने की कोशिश करी थी | 😁😁आप भी पढ़कर बताइयेगा कि कैसी लगी |  जनहित में जारी :- सब्र के साथ पढ़ें और बिलकुल न हँसे 😁😁 आज जब माहौल को कमबख्त वायरस  ने बनाया हुआ है सीरियस, तो हमने सोचा कि हम अपने शब्दों से  आप सभी को पिला दें थोड़ा सोमरस |  आप के जन्मदिन की अजब है कहानी  सुनो ज़रा हमारी मुँहज़बानी |  पहले तो हमसे कहा गया कि  वीडियो बनाकर भेजना है,  तो आनन- फानन हम जुट गए काम में  इतने रीटेक दे- देकर तो परफेक्ट शॉट दिया  पर इन ज़ालिमों ने उसका काम तमाम कर दिया |  फ़िर इन masterminds ने हमसे कहा कि सेल्फ़ी भेजो  अरे भई! अब काटो तो हमें खून नहीं  क्यूँकि हम सेल्फ़ी वाले इंसान नहीं |  लाख जतन किए हमने बहन, पर  न मिली एक भी सेल्फ़ी आपके साथ की |  थक हार कर बैठ गए जब हम, घनघोर निराशा के बादलों के बीच, ऐसे में प्रकट हुईं देवी पार्वती अँधेरे को चीर  और आशीर्वाद स्वरुप प्रदान

Gudiya Rani

 यह पोस्ट मैंने एक छोटी सी गुड़िया के पहले बर्थडे पर लिखी थी | कोरोना के कारण स्वयं तो जा नहीं सकी पर शब्दों के रूप में उस नन्ही परी को खूब सारा प्यार भेजा |  माँ की प्यारी, पापा की दुलारी  और अपने भैया की राज दुलारी  छोटी सी परी तुम,         लेकर आईं कितनी खुशियाँ तुम |  बन गईं हम सभी की आँखों का तारा  जिसकी चमक से रौशन है जग सारा |  कब गोद से निकलकर दौड़ने लगीं तुम, हम देखते ही रह गए और साल भर की हो गईं तुम |  ननिहाल, ददिहाल खुश है सारा कि  आज है जन्मदिन तुम्हारा |  लाखों दुआएँ दे रहे सब  दूर से ही सही पर याद कर रहे सब |  सदा मुस्कुराती रहो, चहकती रहो तुम  और सबकी ज़िन्दगियों में यूँ ही रंग भरती रहो तुम |  ग़म का साया भी कभी तुम्हारे पास न आए, हँसता हुआ गुलाब सा चेहरा कभी न मुरझाए, "शनाया" परी ले लो हमसे भी इतनी सी दुआएँ | | 

Taking a small step towards a CARAVAN

 A big HELLO to all of you. Today a thought just struck me that why we all can't share our thoughts and feelings on this common platform that is, my blog. It will help us to express our feelings which we often are unable to share with someone personally specially in the present scenario. Thus, knitting us all in one family. It's not necessary that one should write poetry only to share one's feelings. You can just talk in a conversation form or like as if you are writing a diary page. The sole idea is to listen to each other no matter whether you use Hindi or English language as a medium of expression. It could be anything, about your hobby, your likes and dislikes. We just need to steal few moments for us from our daily chores just like I have been doing 😊. That's why I had named my blog "STOLEN MOMENTS". So, are you all willing to steal few moments for yourself and try to discover your innerself. It's just a small effort to bring happiness and meaning to