बचपन




कभी कभी अपना बचपन याद आता है
 बेफ़िक्रबेपरवाहमस्त मौला थे हम भीमाँ-पापा की गोद में खेलकर बड़े हुए थे हम भी 
अपना रूठना और दोस्तों का मनाना याद आता है 
कभी-कभी अपना बचपन याद आता है | 
घर के आँगन में लेटकर तारे गिनते थे हम भी 
दादीबाबा से किस्से कहानियाँ सुनते थे हम भी 
कटी पतंग को दौड़कर लपकना भी याद आता है 
कभी-कभी अपना बचपन याद आता है | 
भाई-बहनों के साथ खिलौनों के लिए झगड़ते थे हम भी 
एक दूसरे के बाल खींचते थे हम भी 
आज भी एक दूसरे की चॉकलेट छीनकर खाना याद आता है 
कभी- कभी अपना बचपन याद आता है | 
सुबह- सुबह बेमन से उठकर स्कूल जाते थे हम भी 
कॉपी- किताब भूलने पर क्लास से बाहर खड़े किए जाते थे हम भी 
हिस्ट्री के क्लास में मेज़ पर हाथ रखकर आँखे खोलकर सोना याद आता है 
कभी- कभी अपना बचपन याद आता है | 
डॉक्टर- इंजीनियर बनने के सपने देखते थे हम भी 
सैंकड़ों की भीड़ में अपनी पहचान बनाना चाहते थे हम भी 
माँ- पापा का कहना कि अच्छे इंसान बनना याद आता है 
कभी- कभी अपना बचपन याद आता है | 
समय के साथ कब बचपन गुज़र जाता है 
बस उसका प्यारा सा एहसास रह जाता है 
अनगिनत यादों का पिटारा दे जाता है 
जो खुलने पर मन को आनंदित कर जाता है 
कभी- कभी अपना बचपन याद आता है | 

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