अस्तित्व
अस्तित्व
अस्तित्व और नारी ,
दोनों का रिश्ता जैसे दिया और बाती
दोनों एक साथ लिए हाथों में हाथ
एक है दिन तो दूजी रात |
अक्सर मेरे ज़हन में यह ख्याल आता है
जो मुझे भीतर तक झकझोर जाता है ,
कि क्यों केवल नारी ही
जीवन के हर मोड़ पर
अपना अस्तित्व तलाशती रहती है
और उम्मीदों का भार अपने काँधे उठाए रहती है |
माँ की कोख़ से ही उसका संघर्ष प्रारंभ हो जाता है
बेटे और बेटी में फ़र्क भी तभी समझ आ जाता है |
अक्सर आँखे खोलने से पहले ही सुला दी जाती है
ग़र ज़िन्दगी पा गयी तो संघर्ष की कहानी आगे बढ़ जाती है |
छोटी सोच वाले परिवारों में उसकी शिक्षा भी छूट जाती है
गर पढ़ लिख जाये तो माँ बाप को दहेज की चिंता सताती है |
पराया धन मानकर बेटी को विदा कर दिया जाता है
और बेटे को बुढ़ापे की लाठी मानकर सर आँखों पर बिठाया जाता है |
क्या हम अपनी सोच का आयाम बदल पाएंगे
कभी बेटे की तरह बेटी को भी गले लगा पाएंगे |
गर यह फ़र्क मिट जाएगा ,
तो नारी के अस्तित्व को एक नया आकाश मिल जाएगा |
आइए हम और आप मिलकर पहल करें
क्या पता कारवां अपने आप जुड़ जाएगा | |
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