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Showing posts from June, 2020

झिलमिलाता सितारा

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झिलमिलाता सितारा एक झिलमिलाता सितारा  आँखों से ओझल हो गया |  हम देखते ही रह गए और  वह आसमानों में गुम हो गया |  सितारों को खोजने वाला वह, आज खुद सितारों में शामिल हो गया |  सुकून मिल न पाया उसे इस जहाँ में, वहाँ शायद उसे कोई अपना मिल गया |  एक झिलमिलाता सितारा आँखों से ओझल हो गया | |  अधूरे सपने लिए आँखों में, वह रुख़सत हो गया |  अपनी उलझनों से बहुत दूर पर, ढेरों सवाल हमारे लिए छोड़ गया |  एक झिलमिलाता सितारा आँखों से ओझल हो गया | |  चकाचौंध से भरी इस दुनिया में, उसे एक हमदर्द न मिल सका |  कहने को तो सब उसके अपने थे, पर कोई हमसफ़र न बन सका |  एक झिलमिलाता सितारा आँखों से ओझल हो गया | |  दर्द का समंदर लिए सीने में, वह साहिल शांत हो गया |  कोई रिश्ता न होते हुए भी, बहुतेरे दर्द के रिश्ते जोड़ गया |  एक झिलमिलाता सितारा आँखों से ओझल हो गया | |  कसक सिर्फ़ इतनी सी है, कि कोई उसे समझ न सका |  ग़म बाँटना तो दूर, कोई उसके अनकहे शब्द न सुन सका |  एक झिलमिलाता सितारा आँखों से ओझल हो गया | | 

कोरोना स्पेशल

कोरोना स्पेशल  बहुत से प्यारे दोस्तों ने कहा कि  बहुत दिनों से तुमने कुछ लिखा नहीं  हमने अनमने मन से कहा  "क्या करें सखियों अब तो  बस एक ही ख़याल ज़हन में रहता है  कि कहीं सिंक में बर्तन भरे तो नहीं | " क्या कविता, क्या शायरी सारा ख़ुमार उतर गया,  बर्तन धोते- धोते अब तो हाँथों का मैल भी उतर गया |  जब से घर में नज़रबंद हुए हम, यकीन मानिये काजल लगाना तो दूर की बात  बालों में कंघी करना भी भूल गए हम |  पार्लर जाना बंद हुआ और क्रूर सिंह बन गए हम, उम्मीद है एक दूसरे को पहचान लेंगे  ग़र टकराए किसी रास्ते पर हम |  पहले जिम में डम्बल उठाए नज़र आते थे हम, आजकल झाड़ू पोंछा लिए रहते हैं  कम है क्या यह ग़म |  हम तो अपने मन को यही बोल के समझा लेते हैं कि  ज़रा उन बहनों को देखो जिनका  ज़ुम्बा बंद, किटी पार्टी बंद और शॉपिंग भी बंद |  इतना निपुण तो हमारी माँ भी हमें न बना पायीं  जितना आत्मनिर्भर मोदी जी ने और  सर्वगुण संपन्न इस कोरोना ने बना दिया और  न जाने क्या क्या काम सिखा दिया |  अच्छा, तो आज का प्रवचन यहीं समाप्त हुआ  उम्मीद है कि हमारे तरकश
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आओ दोस्त आओ दोस्त, कुछ दर्द बाँट लेते हैं |       कुछ अपने हाल तुम सुनाओ कुछ हम अपने सुना देते हैं ,      दुनिया के सामने चलो अपने ग़म छुपा लेते हैं || इस ज़माने में सबको अपने ग़म दिखलाई देते हैं      हमारे बोल तो कोई सुनता नहीं , चलो हम तुम ख़ामोशी से ही      अपने दर्द बयाँ कर लेते हैं || यहाँ न किसी के पास वक़्त है      न सुनने का सब्र, किसके सामने अपना दुखड़ा सुनाए      चलो एक दूसरे के काँधो पर रखकर सिर, अपना हाले-दिल सुना देते हैं ||      आओ दोस्त, कुछ दर्द बाँट लेते हैं ||