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Showing posts from November, 2020

प्यार भरी पाती

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प्यार भरी पाती  पिया जी, लिखी मैंने तुम्हें आज, एक प्यार भरी पाती  हम दोनों एक साथ  जैसे तुम दिया और मैं बाती   तुम्हारे बिना तो मैं अन्धकार में गुम हो जाती |  हम दोनों एक साथ, लिए हाँथों में हाँथ  जैसे चाँद संग तारों की बारात |  हम दोनों एक साथ जैसे नाव संग पतवार, लड़े-झगड़े चाहे जितना पर साथ रहें सदा  दिन चाहे सोमवार हो या इतवार |  पिया जी, हम दोनों की नोंक- झोंक  चलती रहती सुबह- शाम, हम कहें संतरा तो तुम कहो आम |  जली- कटी एक दूसरे को भले ही सुना लें, पर परस्पर प्रेम- सुधा बरसती रहती  रास्ते भले ही जुदा हो हमारे पर मंज़िल रहती है एक, तुम पीसो अपनी चटनी हम बनाए अपना केक |  पिया जी, लिखी मैंने तुम्हें आज प्यार भरी पाती, सुख-दुःख सदा मिलकर बाँटते हम जीवनसाथी, हम ठहरे पास्ता वाले पर तुम्हें तो दाल-रोटी ही भाती |  तुम सूरज मैं साँझ पिया,  तुम्हें न देखूँ तो न लागे जिया  तुम्हें पसंद मोतीचूर लडडू,  हमने तो रसोगुल्ला चाप दिया |  पिया जी, तुम हो पतंग और मैं तुम्हारी डोर, ले चलो अपने संग चाहे जिस ओर  हम तो करें सीधी- सादी बातें, पर तुम्हारी बातों का तो न कोई ओर न कोई छोर |  न जाने हँसते-गाते, ल

बाबुल

 बाबुल, मैं हूँ तुम्हारे आँगन की गुड़िया, ढेरों शैतानियाँ करती आफ़त की पुड़िया, तुम्हारे कलेजे का टुकड़ा, जिसका है चाँद सा मुखड़ा  अम्मा, मैं हूँ तुम्हारी आँखों का तारा, जिसकी खिलखिलाहट से गूँजे है घर सारा |  कब मैं तुम्हारी बिटिया और कब तुम मेरी सहेली, कोई न बूझ पाया यह अजब पहेली |  बाबुल, तुम्हारी अँगुलि पकड़कर चलती मैं  और अम्मा, तुम्हारे आँचल में चैन की नींद सोती मैं  घर के आँगन में ढेरों सपने बुनती मैं  अम्मा और बाबा, पर एक बात बताओ  मेरे मन की दुविधा सुलझाओ, तुम्हारे घर की लक्ष्मी मैं  फिर क्यों बोलते हो मुझे पराया धन, सुनकर जिसे एक टीस सी उठती है, जो मेरे अंतर्मन को चीर के रख देती है क्या यह घर मेरा नहीं  और क्या तुम लोगों से मेरा कोई नाता नहीं ? क्या दूसरा घर भी मेरे इस घर जैसा होगा  जहाँ मैं खिलखिला कर हँस सकूँगी, चादर ताने बेफ़िक्र सो सकूँगी, खुले आसमां  में आज़ाद पंछी की तरह उड़ सकूँगी, वहाँ के आँगन में सहेलियों संग गप्पे लड़ा सकूँगी, जो चाहे पहन सकूँगी और जब चाहे आपसे मिलने आ सकूँगी? अम्मा- बाबा, क्या आप लोग मुझे नए रूप में उस नए घर में मिलोगे जो मुझे बहू नहीं अपनी बिटिया मानोगे, मेर

शुभ दीपावली

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 शुभ दीपावली  जग-मग जग-मग हुआ संसार आया आया दिवाली का त्यौहार |  दीप जलाओ घर सजाओ, नमकीन बनाओ मिठाई बनाओ खुद भी खाओ और हमें भी खिलाओ |  खोलो-खोलो दिल के द्वार प्रेम सुधा बरसाओ अपार आया आया दिवाली का त्यौहार |  सुख समृद्धि आए आपके घर गणपति बप्पा की कृपा रहे सदा आप पर हमारी बस यही कामना बारम्बार  माता लक्ष्मी बनाये रखें आपका भण्डार और आपकी दिवाली हो आनन्दमयी और लाये खुशियाँ अपार आया आया दिवाली का त्यौहार |  || दिवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ||  Image source: https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn%3AANd9GcQ8Ez7H-Tr2h2Hupag6fZC6St-K4ed2c1UDrQ&usqp=CAU