Posts

Showing posts from February, 2020

मन कर रहा है

Image
आज बहुत दिनों बाद कुछ लिखने का मन कर रहा है  कि खुला आसमान देखकर उड़ने का मन कर रहा है |  मत बाँधो मेरी इच्छाओं के पर  कि आज चाँद को छूने का मन कर रहा है |  उम्मीदों की बेड़ियों  में मत जकड़ो मुझे  कि आज भरी बरसात में भीगने का मन कर रहा है |  कर्तव्यों के बोझ तले न दबाओ मुझे  कि आज कली से गुलाब बनने का मन कर रहा है |  सबकी खुशियों के लिए न सूली चढ़ाओ हमें  कि आज फिर जीने का मन कर रहा है |  मुझे भी जी लेने दो अपनी इच्छा से  कि आज फिर साँस लेने का मन कर रहा है |  मन कर रहा है , बहुत मन कर रहा है  कि आज अपने को आईने में देख , दूसरों के लिए नहीं , अपने लिए जीने का मन कर रहा है |  आज बहुत दिनों बाद कुछ लिखने का मन कर रहा है | | 

बचपन

Image
कभी  -  कभी अपना बचपन याद आता है   बेफ़िक्र ,  बेपरवाह ,  मस्त  मौला  थे  हम  भी माँ - पापा  की  गोद  में  खेलकर  बड़े  हुए  थे  हम  भी   अपना रूठना और दोस्तों का मनाना याद आता है   कभी - कभी अपना बचपन याद आता है  |   घर के आँगन में लेटकर तारे गिनते थे हम भी   दादी -  बाबा से किस्से कहानियाँ सुनते थे हम भी   कटी पतंग को   दौड़कर लपकना भी याद आता है   कभी - कभी अपना बचपन याद आता है |   भाई - बहनों के साथ खिलौनों के लिए झगड़ते थे हम भी   एक दूसरे के बाल खींचते थे हम भी   आज भी एक दूसरे की चॉकलेट छीनकर खाना याद आता है   कभी - कभी अपना बचपन याद आता है |   सुबह - सुबह बेमन से उठकर स्कूल जाते थे हम भी   कॉपी - किताब भूलने पर क्लास से बाहर खड़े किए जाते थे हम भी   हिस्ट्री के क्लास में मेज़ पर हाथ रखकर आँखे खोलकर सोना याद आता है   कभी - कभी अपना बचपन ...