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मन कर रहा है

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आज बहुत दिनों बाद कुछ लिखने का मन कर रहा है  कि खुला आसमान देखकर उड़ने का मन कर रहा है |  मत बाँधो मेरी इच्छाओं के पर  कि आज चाँद को छूने का मन कर रहा है |  उम्मीदों की बेड़ियों  में मत जकड़ो मुझे  कि आज भरी बरसात में भीगने का मन कर रहा है |  कर्तव्यों के बोझ तले न दबाओ मुझे  कि आज कली से गुलाब बनने का मन कर रहा है |  सबकी खुशियों के लिए न सूली चढ़ाओ हमें  कि आज फिर जीने का मन कर रहा है |  मुझे भी जी लेने दो अपनी इच्छा से  कि आज फिर साँस लेने का मन कर रहा है |  मन कर रहा है , बहुत मन कर रहा है  कि आज अपने को आईने में देख , दूसरों के लिए नहीं , अपने लिए जीने का मन कर रहा है |  आज बहुत दिनों बाद कुछ लिखने का मन कर रहा है | | 

बचपन

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कभी  -  कभी अपना बचपन याद आता है   बेफ़िक्र ,  बेपरवाह ,  मस्त  मौला  थे  हम  भी माँ - पापा  की  गोद  में  खेलकर  बड़े  हुए  थे  हम  भी   अपना रूठना और दोस्तों का मनाना याद आता है   कभी - कभी अपना बचपन याद आता है  |   घर के आँगन में लेटकर तारे गिनते थे हम भी   दादी -  बाबा से किस्से कहानियाँ सुनते थे हम भी   कटी पतंग को   दौड़कर लपकना भी याद आता है   कभी - कभी अपना बचपन याद आता है |   भाई - बहनों के साथ खिलौनों के लिए झगड़ते थे हम भी   एक दूसरे के बाल खींचते थे हम भी   आज भी एक दूसरे की चॉकलेट छीनकर खाना याद आता है   कभी - कभी अपना बचपन याद आता है |   सुबह - सुबह बेमन से उठकर स्कूल जाते थे हम भी   कॉपी - किताब भूलने पर क्लास से बाहर खड़े किए जाते थे हम भी   हिस्ट्री के क्लास में मेज़ पर हाथ रखकर आँखे खोलकर सोना याद आता है   कभी - कभी अपना बचपन याद आता है |   डॉक्टर - इंजीनियर बनने के सपने देखते थे हम भी   सैंकड़ों की भीड़ में अपनी पहचान बनाना चाहते थे हम भी   माँ - पापा का कहना कि अच्छे इ