ज़िन्दगी ने कहा
सुबह उठकर मैं रोज़ के अपने, काम शुरू करने जा ही रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, आराम से बैठकर चाय की एक चुस्की तो ले ज़रा | काम करते- करते बीच में मैं, आने वाले कल के बारे में सोचती जा रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, पहले आज को तो जी भर के जी ले ज़रा | परेशानियों से ऊबकर, अपने आप से ही भागने जा रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, डटकर परेशानियों का सामना करके देख तो ज़रा | अपनी इच्छाओं को मारकर, दूसरों के लिए जा रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, थोड़ा अपने लिए सज- सँवर कर देख तो ज़रा | दूसरों को आगे बढ़ता देख, मैं खुद को पीछे छूटता पा रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, तू भी पंख फैलाकर उड़ान भर के देख तो ज़रा | भरी महफ़िल में शामिल होकर भी, खुद को तन्हा ही पा रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, किसी की तरफ हाथ बढ़ाकर देख तो ज़रा | सुना था कि दुनिया बहुत हसीन है पर मैं तो इसको बेरंग ही देख रही थी कि ज़िन्दगी ने कहा, एक नज़र मुस्करा कर देख तो ज़रा | |