अस्तित्व
अस्तित्व अस्तित्व और नारी , दोनों का रिश्ता जैसे दिया और बाती दोनों एक साथ लिए हाथों में हाथ एक है दिन तो दूजी रात | अक्सर मेरे ज़हन में यह ख्याल आता है जो मुझे भीतर तक झकझोर जाता है , कि क्यों केवल नारी ही जीवन के हर मोड़ पर अपना अस्तित्व तलाशती रहती है और उम्मीदों का भार अपने काँधे उठाए रहती है | माँ की कोख़ से ही उसका संघर्ष प्रारंभ हो जाता है बेटे और बेटी में फ़र्क भी तभी समझ आ जाता है | अक्सर आँखे खोलने से पहले ही सुला दी जाती है ग़र ज़िन्दगी पा गयी तो संघर्ष की कहानी आगे बढ़ जाती है | छोटी सोच वाले परिवारों में उसकी शिक्षा भी छूट जाती है गर पढ़ लिख जाये तो माँ बाप को दहेज की चिंता सताती है | पराया धन मानकर बेटी को विदा कर दिया जाता है और बेटे को बुढ़ापे की लाठी मानकर सर आँखों पर बिठाया जाता है | क्या हम अपनी सोच का आयाम बदल पाएंगे कभी बेटे की तरह बेटी को भी गले लगा पाएंगे | गर यह फ़र्क मिट जाएगा , तो नारी के अस्तित्व को एक नया आक...